यदि आने वाले संकटों से पहले ही उसे समझकर छुटकारा पाने का कोई उपाय अगर हो तो..! कई समस्याएं जिन्हें हम आज जिस तीसरे आयाम में रहते हुऐ नही समझ पाता हैं, वहां से नहीं देखा जा सकता है, उन्हें थोड़ा ऊपर यांनी 14वें आयाम से देखा जा सकता है। चाहे शारीरिक हो, मानसिक हो, आर्थिक हो या वैवाहिक, सभी प्रश्नों , समस्याओं का स्थायी समाधान।
"सही दृष्टिकोण" वाला कोई भी व्यक्ति, गुरु की अनुमति और आशीर्वाद से, दुनिया में कहीं से भी, जाति, धर्म की परवाह किए बिना, इस पद्धति का अभ्यास कर सकता है। क्या आप ब्रह्मांड के साथ फिर से जुड़ने और ब्रह्मांड के नियमों के अनुसार जीवन जीने के लिए तैयार हैं? यह सब एक आत्म-ज्ञानी गुरु के माध्यम से अभ्यास किया जा सकता है
भले ही हम पूरी जिंदगी अपने आप में ही डूब जाएं हम अपने आप को नहीं समझ सकते. ऐैसे मे आप जो देखते हैं और सुनते हैं उसके बारे में केवल शिकायतें... उद्देश्य को जाने बिना जीने और हर किसी को दोष देने से कितना बेहतर है, यह महसूस करना कि जीवन का उद्देश्य क्या है और इसे पूरा करें और खुशी से जिएं और समाधिस्थ हो जाएं। आइये आध्यात्मिक अनुभूति को भौतिक स्तर से समझने का प्रयास करें।
भक्ति बाहर की खोज करना है। अध्यात्म भक्ति का निःस्वार्थ स्तर है। अपने आप का भीतर आध्यात्मिक परिवर्तन अवश्य होना चाहिए। यदि इतिहास और अनुष्ठान भक्ति की अभिव्यक्ति हैं, तो दर्शन केवल आध्यात्मिकता की अभिव्यक्ति हैं। "स्वार्थी के लिए भक्ति, निःस्वार्थ के लिए आध्यात्मिकता" सभी दुख का कारण अपना दुराग्रह हैं... जहां आध्यात्मिकता है वहां खुशी और आराम है